शुक्रवार 31 जनवरी 2025 - 07:46
शाबान उल मौअज़्ज़मः रसूलुल्लाह का महीना और उसके मुश्तरक आमाल

हौज़ा / शाबाना हज़रत रसूल्लाह (स) का महीना है इस महीने उनके प्यारो का जन्म हुआ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, शाबान का महीना हिजरी कैलेंडर का आठवां महीना है और यह महीना रहमतुन लिल आलमीन, हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (अ) से जुड़ा हुआ है। जैसा कि खुद रसूल अल्लाह (स) ने फ़रमाया: "रजब अल्लाह का महीना है, शाबान मेरा महीना है और रमजान मेरी उम्मत का महीना है।" इसके अलावा उन्होंने यह भी फरमाया: "शाबान मेरा महीना है, अल्लाह उस बंदे पर रहमत नाज़िल करे जो इस महीने में मेरी मदद करेगा, जो कोई भी इस महीने में एक रोज़ा रखेगा, उस पर जन्नत वाजिब हो जाएगी।" रसूल अल्लाह (स) ने एक और जगह पर कहा: "शाबान वह महीना है जिसमें अमाल (अच्छे कार्य) क़ुबूल होते हैं जबकि लोग इससे गाफिल होते हैं।" अमीरुल मोमिनीन, इमाम अली (अ) ने फरमाया: "शाबान रसूल अल्लाह (स) का महीना है।"

कुछ हदीसों में शाबान को महीनों का सरदार भी कहा गया है। इमाम जाफर सादिक़ (अ) से रिवायत है कि जब शाबान का चाँद आसान पर नज़र आता तो इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ) अपने साथियों को इकट्ठा करते और कहते थे: "क्या तुम जानते हो कि यह कौन सा महीना है?" यह महीना शाबान है। रसूल अल्लाह (स) ने फ़रमाया कि यह मेरा महीना है। इसलिए रसूल अल्लाह (स) की मोहब्बत और अल्लाह के करीब होने के लिए इस महीने में रोज़ा रखो। उस अल्लाह की क़सम! जिसके हाथ में अली बिन हुसैन की जान है, मैंने अपने वालिद इमाम हुसैन (अ) से सुना कि अमीरुल मोमिनीन (अ) ने फ़रमाया: "जो भी शाबान के महीने में रसूल अल्लाह (स) की मोहब्बत और अल्लाह के करीब होने के लिए रोज़ा रखेगा, वह अल्लाह का महबूब होगा, क़यामत के दिन अल्लाह की करामत उसके साथ होगी और जन्नत उसके ऊपर वाजिब हो जाएगी।"

सफ़वान जमाल से रिवायत है कि इमाम जाफर सादिक़ (अ) हमें हुक्म देते थे कि अपने आस-पास के लोगों को शाबान में रोज़ा रखने के लिए तैयार करो। हमने उनसे पूछा, "क्या आप इस महीने की फ़ज़ीलत बयान करें?" तो इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमाया: "जब शाबान का महीना शुरू होता तो रसूल अल्लाह (स) मदीना में पुकारने वाले को हुक्म देते कि वह ऐ मदीना वालो! जान लो, यह महीना मेरा महीना है। अल्लाह उस बंदे पर रहमत नाज़िल करे जो इस महीने में मेरी मदद करेगा, यानी रोज़ा रखे।" अमीरुल मोमिनीन (अ) ने कहा: "जब से मैंने रसूल अल्लाह (स) के पुकारने की आवाज़ सुनी है, मैंने शाबान में रोज़ा कभी नहीं छोड़ा। इंशा अल्लाह, जीवन भर शाबान के रोज़े नहीं छोड़ूँगा।"

शाबान रसूल अल्लाह (स) का महीना है, इस महीने में रसूल अल्लाह (स) के चाहने वालों की विलादत हुई।

3 शाबान 5 हिजरी को रसूल अल्लाह (स) के प्यारे नवासे इंसानियत के महान नेता इमाम हुसैन (अ) का जन्म हुआ, जिन्होंने इस्लाम की रक्षा के लिए महान कुर्बानियाँ दीं और रसूल अल्लाह (स) की हदीस "मैं हुसैन से हूँ" की व्याख्या की।

4 शाबान 26 हिजरी को अल्लाह के मुखलिस बंदे और रसूल अल्लाह (स) के मुतीअ खालिस हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) का जन्म हुआ। जिनकी तमन्ना रसूल अल्लाह (स) के नफ़्स अमीरुल मोमीन अली इब्न अबि तालिब (अ) ने की, बिन्ते रसूल हज़रत ज़हरा (स) ने जिन्हे अपना बेटा कहा, इमाम हुसैन (अ) ने जिन्हे अपनी सेना का सेनापति बनाया, हज़रत अब्बास (अ) ने दीन की नुसरत मे अपनी दोनो भुजाए क़ुरबान कर दी रिवायत के अनुसार आपकी यही दोनो भुजाए उम्मत की शफ़ाअत का माध्यम बनेगी।

5 शाबान 38 हिजरी को इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ) का जन्म हुआ।

11 शाबान को शबीह-ए-रसूल (स) और मोअज़्ज़िन-ए-सुब्ह-ए-आशूरा हज़रत अली अकबर (अ) का जन्म हुआ।

15 शाबान 255 हिजरी को मुंज़ी-ए-आलम-ए-बशरियत, क़ुत्ब-ए-आलम-ए-इमकान, लंगर-ए-ज़मीन-ओ-आसमां, साहिब-ए-ज़माना, ख़ातम-ए-औसिया इमाम महदी (अ) का जन्म हुआ और उसी दिन 329 हिजरी को उनके आख़िरी नाइब ख़ास हज़रत अली बिन मुहम्मद समरी (अ) का निधन हुआ।

18 शाबान 326 हिजरी को इमाम महदी (अ) के तीसरे नाइब ख़ास हज़रत हुसैन बिन रूह नुबख़ती (र) का निधन हुआ, जिनके ज़रिए मोमेनीन अपने मौला और आका इमाम ज़माना (अ) के पास दुआ भेजते थे।

शाबान महीने के आमाल:

  1. रोज़ा रखना।
  2. सलवात पढ़ना।
  3. सदक़ा देना।
  4. मुनाजात शाबानिया पढ़ना।
  5. रोज़ाना 70 बार  "असतग़फिरुल्लाह व असअलुहुत तौबा" पढ़ना।
  6. रोज़ाना 70 बार "असतग़फिरुल लाहिल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीमुलहय्युलक़य्यूमू व अतूबू इलैही" पढ़ना।
  7. जुमेरात की खास नमाज़।
  8. सलवात शाबानिया पढ़ना।

"ख़ुदाया! इमाम ज़माना अ.ज.अ. के ज़ुहूर में ताजील फ़रमा। आमीन।"

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